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सरसों में तेला व चेपा (महुआ कीट) का प्रकोप बढ़ने से पहले रोकथाम के ये करे उपाय, जानें कृषि विशेषज्ञ की राय।

सरसों में तेला व चेपा (माहू कीट) नामक रोग सर्दी के मौसम में देखने को मिलता है। साथियों इस समय रबी सीजन में प्रमुख तिलहन फसल सरसों की बुवाई का कार्य पुर्ण हो चुका है, एवम् पहला पानी भी दे चुके हैं, जनवरी-फरवरी माह में जैसे ही सर्दी का मौसम बीतने लगता है उसी तरह तेला एवम् चेपा रोग का (hopper disease in mustard) प्रकोप बढने लगता है। साथियों आज हम इसकी रोकथाम के आसान उपाय जानेंगे।।।

सरसों रबी सीजन की प्रमुख तिलहन फसल है इसका प्रमुख रूप से उत्पादन राजस्थान, हरियाणा, उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार एवम् पंजाब में किया जाता है, सरसों की बुवाई नवंबर के प्रथम सप्ताह से दिसंबर के प्रथम सप्ताह तक की जाति है, एवम् फरवरी मार्च में कटाई की जाती है, सरसों का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य राजस्थान है।

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इस समय सरसों की पहली सिंचाई के बाद फूल एवम् फलियां बनने लगी है, हालांकि इस समय सरसो की फसल कुछ स्थानों पर जरुर हल्की है परंतु अधिकतर फसलों में फूल आने लगे हैं जबकि कुछ अगेती बुवाई वाले स्थानों पर फलियां आने लगी है, जनवरी के दूसरे सप्ताह के बाद रात ठंडी जबकि दिन का तापमान गर्म होने लगता है, उसी समय तापमान में अंतर होने के कारण तेला चेपा रोग का प्रकोप सरसों में देखने को मिलने लगता है जो फलियों को काफ़ी नुकसान पहुंचा सकता है। हर साल यह रोग (माहू कीट) सरसों एवम् गेहूं में देखने को मिलता है। इसके नियंत्रण हेतु कुछ सावधानियां बरतने पर नियंत्रण पा सकते है..

 

ऐसे करें सरसों में तेला व चेपा (महुआ कीट) की पहचान

इस रोग को आसानी से पहचान किया जा सकता है, यह रोग सरसों की टटानियो पर छोटे छोटे कीट चिपके दिखाईं देते हैं। जो एक साथ पाए जाते है, एवम् हरे रंग के दिखाईं देते हैं जो तने के रस को धीरे धीरे चूसने लगता है एवम् टहनी सूखने लगती है, यह सरसों की फसल को सम्पूर्ण बर्बाद करने में सक्षम है, एवम् किसानों को आर्थिक नुकसान पहुंचा सकता है।

सरसों में तेला चेपा हेतु रोकथाम के उपाय एवम् स्प्रे का इस्तेमाल

यदि सरसों की फसल में तेला एवम् चेपा यानी माहू कीट का प्रकोप बढने लगे तो इसके लिए स्प्रे करके नियंत्रण पाया जा सकता है, परंतु इसके लिए दवाई का सही से चयन करके ही लाभ प्राप्त किया जा सकता है, इससे पहले कीट के बारे में सही से जानकारी होना भी जरुरी है क्योंकी कई बार अन्य रोग होने के कारण दूसरी स्प्रे करके नुकसान भी हो सकता है। कुछ कीट ऐसे हैं जो मित्र कीट भी कहे जाते है, ऐसे में गलत स्प्रे से इनकी मृत्यु हो जाति है एवम् अच्छा उत्पादन लेने से वंचित हो सकते है।

सरसों में इस कीट नियंत्रण हेतु हमें सिस्टमैटिक कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि यह कीट संक्रमित कीटनाशक से नियंत्रित नहीं होते, ऐसे में रोग इस रोग को नियंत्रित करने हेतु इन कीटनाशकों का प्रयोग किया जा सकता है…

तेला चेपा हेतु प्रति एकड़ में इमिडाक्लोप्रिड (17.8% SL) 100 मिलीलीटर, एसिटामिप्रिड ( 20% Sp) की 100g मात्रा प्रति एकड़ या फिप्रोनिल ( 5% SC) की 250g मात्रा प्रति लीटर प्रति एकड़ या थियामेथोक्सम (25% WG) की 100g से 150 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ प्रयोग कर देवे। इसके अतिरिक्त इसके साथ फंगीसाइड का भी स्प्रे भी कर सकते है, इसके लिए आप हारु (टेबुकोनाज़ोल 10% + sulphur 65% WG) 500g प्रति एकड़ का प्रयोग करें। इसके सरसों में बेहतर परिणाम मिलेंगे।

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